नवरात्र में साल 2000 के बाद फिर से ऐसा संयोग

एक अक्टूबर से शुरू हो रहे नवरात्र में साल 2000 के बाद फिर से ऐसा संयोग बन रहा कि नवरात्र महोत्सव दस के बजाए 11 दिन तक चलेगा। नवरात्र की दूज तिथि लगातार दो दिन है। घट विसर्जन नवमी तिथि पर होगा। जबकि दशहरा 11 अक्टूबर को मनाया जाएगा। ऐसे में नवरात्र तो 10 दिन के होंगे, लेकिन नवरात्र महोत्सव पूरे 11 दिन तक रहेगा। वहीं, इस बार पितृपक्ष 16 दिनों के बजाए 15 दिन का है। जो 16 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। तिथियों के क्षय होने व बढऩे की वजह से ही ऐसी तिथियां बदलती हैं।




पंडितों के मुताबिक 16 सितंबर को श्राद्ध हैं, जबकि 17 सितंबर को प्रतिपदा का तर्पण व श्राद्ध होगा। 30 सितंबर को पितृमोक्षनी अमावस्या के साथ ही पितृपक्ष का समापन होगा। जिस तिथि में मृत्यु हुई हो, उसी तिथि में श्राद्ध करना चाहिए। अगर संन्यासी का श्राद्ध करना हो तो वह द्वादशी के दिन करें। किसी जीव जंतु के काटने से अकाल मृत्यु या ब्रह्मघाती व्यक्ति की श्राद्ध चौदस तिथि में करना चाहिए। पूर्वजों की मृत्यु की तिथि याद न होने पर अमावस्या पर श्राद्ध करें। पितृपक्ष में दान कर्म का विशेष महत्व रहता है।

घट स्थापना एक अक्टूबर कोएक अक्टूबर शनिवार को कलश स्थापन के बाद मां के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा होगी। दो तारीख की सुबह 5.53 बजे द्वितीया तिथि लग रही है, जो तीन तारीख की सुबह 7.44 बजे तक रहेगी। सूर्योदय के बाद इसके खत्म होने के कारण पूरा दिन द्वितीया तिथि मानी जाएगी। 

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