अधिक मोह

किसी भी चीज में बहुत अधिक मोह होना भी परेशानियों का कारण बन जाता है। कई लोग मोह के कारण सही और गलत का भेद भूल जाते हैं। मोह को जड़ता का प्रतीक माना गया है। जड़ता यानी यह व्यक्ति को आगे बढ़ने नहीं देता है, बांधकर रखता है। मोह में बंधा हुआ व्यक्ति अपनी बुद्धि का उपयोग भी ठीक से नहीं कर पाता है। यदि व्यक्ति आगे नहीं बढ़ेगा तो कार्यों में सफलता नहीं मिल पाएगी।
धृतराष्ट्र को दुर्योधन से और हस्तिनापुर के राज-पाठ से अत्यधिक मोह था। इसी कारण धृतराष्ट्र अपने पुत्र दुर्योधन द्वारा किए जा रहे अधार्मिक कर्मों के लिए भी मौन रहे। इस मोह के कारण कौरव वंश का सर्वनाश हो गया।

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