सुखी जीवन के सूत्र

  • सुखी जीवन के सूत्र : दोस्तों से मेलजोल, ज्यादा धन कमाना, पुत्र का आलिंगन, मैथुन में प्रवृत्ति, सही समय पर प्रिय वचन बोलना, अपने वर्ग के लोगों में उन्नति, अभीष्ट वस्तु की प्राप्ति और समाज में सम्मान.
  • ये लोग धर्म नहीं जानते : नशे में धूत, असावधान, पागल, थका हुआ, क्रोधी, भूखा, जल्दबाज, लालची, डरा हुआ व्यक्ति और कामी.
  • 6 प्रकार के मनुष्य हमेशा दुखी रहते हैं: ईर्ष्या करने वाला, घृणा करने वाला, असंतोषी, क्रोधी, शक करने वाला और दूसरों के सहारे जीवन निर्वाह करने वाला.
  • ये 6 सुख हैं : नीरोग रहना, ऋणी न होना, परदेश में न रहना, अच्छे लोगों के साथ मेलजोल रखना, अपनी वृत्ति से जीविका चलाना और निडर होकर रहना.
  • ये 8 गुण ख्याति बढ़ाते हैं : बुद्धि, कुलीनता, इन्द्रियनिग्रह, शास्त्रज्ञान, पराक्रम, अधिक न बोलना, शक्ति के अनुसार दान देना और कृतज्ञता.
  • द्वाविमौ ग्रसते भूमिः सर्पो बिलशयानिव .
    राजानं चाविरोद्धारं ब्राह्मणं चाप्रवासिनम् ॥
    – बिल में रहने वाले जीवों को जैसे सांप खा जाता है, उसी प्रकार शत्रु से डटकर मुकाबला न करने वाले शासक और परदेश न जाने वाले ब्राह्मण – इन दोनों को पृथ्वी खा जाती है.
  • द्वे कर्मणी नरः कुर्वन्नस्मिँल्लोके विरोचते .
    अब्रुवन्परुषं किं चिदसतो नार्थयंस्तथा ॥
    – इन दो कर्मों को करनेवाला मनुष्य इस लोक में विशेष शोभा पाता है बिल्कुल भी कठोर न बोलने वाला 2. बुरे लोगों का आदर नहीं करने वाला.

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