प्लान A, B, C बनाइए, ताकि अगर आपका एक प्लान काम न करे, तो आप दूसरे प्लानों के अनुसार काम कर सकें.
ठीक उसी तरह लक्ष्य A, B, C तय कीजिए.
सम्भव हो तो, उन लोगों के बारे में पता कीजिए, जो उसी काम को कर चुके हैं. जिस काम को आप अभी करने जा रहे हैं. और यह पता लगाइए कि उन लोगों को किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ा था. और उन्होंने क्या-क्या गलतियाँ की थी.
ये सब करने के बाद आपको नियमित मेहनत करना शुरू करना होगा.
आपको समय-समय पर आराम भी करना चाहिए.
अगर आपको लगता है कि आप सही रास्ते पर जा रहे हैं, तो लोगों की बेकार की बातों को नजरन्दाज कीजिए.
खुद पर भरोसा रखिए.
छोटी-छोटी सफलताओं का जश्न बनाइए.
अपने लक्ष्य दूसरों को न बताएँ, इससे आप पर अतिरिक्त दबाव नहीं आएगा.
समय-समय पर दुनिया को भूलकर काम कीजिए.
इस बात पर गौर कीजिए कि आप कौन सी गलतियाँ कर रहें हैं. जो-जो गलतियाँ नजर आए, उन्हें फिर न दोहराएँ.
समय-समय पर कुछ समय मनोरंजन के लिए भी निकालें.
अपने प्रतिद्वंद्वियों से सीखिए.
अगर आपको बड़ी सफलता पानी है, तो आपको इसके लिए बड़ी कीमत चुकानी होगी. दूसरों से ज्यादा मेहनत करना होगा.
याद रखिए जो काम एक बार अच्छे तरीके से पूरा हो जाता है, वह हमेशा के लिए पूरा हो जाता है. इसलिए अपने काम को मन से कीजिए.
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माँ की तरह हम पर प्यार लुटाती है प्रकृति बिना मांगे हमें कितना कुछ देती जाती है प्रकृति….. दिन में सूरज की रोशनी देती है प्रकृति रात में शीतल चाँदनी लाती है प्रकृति…… भूमिगत जल से हमारी प्यास बुझाती है प्रकृति और बारिश में रिमझिम जल बरसाती है प्रकृति….. दिन-रात प्राणदायिनी हवा चलाती है प्रकृति मुफ्त में हमें ढेरों साधन उपलब्ध कराती है प्रकृति….. कहीं रेगिस्तान तो कहीं बर्फ बिछा रखे हैं इसने कहीं पर्वत खड़े किए तो कहीं नदी बहा रखे हैं इसने……. कहीं गहरे खाई खोदे तो कहीं बंजर जमीन बना रखे हैं इसने कहीं फूलों की वादियाँ बसाई तो कहीं हरियाली की चादर बिछाई है इसने. मानव इसका उपयोग करे इससे, इसे कोई ऐतराज नहीं लेकिन मानव इसकी सीमाओं को तोड़े यह इसको मंजूर नहीं…….. जब-जब मानव उदंडता करता है, तब-तब चेतवानी देती है यह जब-जब इसकी चेतावनी नजरअंदाज की जाती है, तब-तब सजा देती है यह…. विकास की दौड़ में प्रकृति को नजरंदाज करना बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि सवाल है हमारे भविष्य का, यह कोई खेल-कहानी नहीं है….. मानव प्रकृति के अनुसार चले यही मानव के हित म...
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