#अमिताभ के सामने जब #इरफान पहले #दिन आये

अमिताभ बच्चन ने कभी नही सोचा था खजुरिया गाँव टोंक का एक लड़का उन्हे समझाएगा कि अभिनय मे सहजता क्या होती है। पीकू फिल्म मे यही हुआ, अमिताभ के सामने जब इरफान पहले दिन आये तो समझ गये आगे का रास्ता आसान नही है। पूरी फिल्म मे दर्शक तय नही कर पाये कि कौन बेहतर है। फिल्म मकबूल मे तब्बू ओर इरफान जब जब स्क्रीन पर आये पिक्च्चर हाल मे सन्नाटा पसर गया, अभिनय की उंचाईयो को छूते हुये दो महारथी, गजब। शब्दो का अभाव है लिखने के लिये। जो शक्स 34 बार एवार्ड्स के लिये नामित किया गया ओर उसमे से 32 बार चुना गया, ऐसा तो इरफान ही कर सकता है। पान सिह तोमर तो फिल्म ही इरफान की थी, कोई पासंग भी नही, फिर  सर्वश्रेष्ट अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी इसी फिल्म के लिये जीता। करीना ने अंग्रेजी मीडियम फिल्म सिर्फ इसलिये की कि उसमे इरफान के साथ उन्हे मोका मिल रहा था। इरफान का खुद का स्टारडम है अकेले के दम पर हिन्दी मीडियम को 100 करोड के क्लब मे शामिल कराया। सूची बहुत लम्बी है ओर मैं उन्हे गिनाने के लिये नही लिख रहा, मेरा सिर्फ लिखने का मकसद इरफान की जिन्दगी के लिये प्रार्थना करना था जिसके अब कोई मायने नहीं है। जिसने इस जयपुर की इस माटी को सम्मान दिलाया, अभिनय की नई उंचाईयो से परिचित कराया, कभी सम्प्रदायिक झमेलो मे नही फंसा, बस अपने काम से काम रखा तो फिर उसका इतना तो उसका हक बनता ही है कि हम उसे और जिन्दगी जीना चाहिए था।।
उनकी मृत्यु से स्तब्ध हूँ बहुत दुख की बात है तीन चार दिन पहले जयपुर में उनकी माता जी का देहांत हुआ था और आज वो खुद नहीं रहे।।

ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।।

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