टेलीकॉम सेक्टर में रिलायंस जियो की सेवाएं लॉन्च होने के बाद से प्राइस वार थमने का नाम नहीं ले रहा है. दूसरी कंपनियों के पास अपने ग्राहकों को बचाए रखने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. लेकिन इसी बीच एक खबर आ रही है कि टेलिकॉम रेग्युलेरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) उस शुल्क में भी कटौती की तैयारी कर रही है जिसमें कनेक्टिंग कॉल्स (आईयूसी) के लिए कंपनियां एक दूसरे को भुगतान करती हैं. मिल रही जानकारी के मुताबिक अभी आईयूसी की दर 14 पैसे प्रति मिनट है. लेकिन अब इसको 10 पैसे प्रति मिनट से कम की जा सकती है. इसकी वजह यह है कि अब नए वक्त में 4 जी आधारित सेवाएं शुरू हो जाने से 'वोल्ट' VoLTE का इस्तेमाल करने पर जोर दे रही हैं. इससे हर कॉल पर मात्र 3 पैसे प्रति मिनट की ही खर्चा आता है. जानकारों का कहना है कि जब डाटा के रेट लगातार कम हो रहे हैं तो ऐसे में आईयूसी का 14 पैसे प्रति मिनट काफी ज्यादा है.
Popular posts from this blog
माँ की तरह हम पर प्यार लुटाती है प्रकृति
माँ की तरह हम पर प्यार लुटाती है प्रकृति बिना मांगे हमें कितना कुछ देती जाती है प्रकृति….. दिन में सूरज की रोशनी देती है प्रकृति रात में शीतल चाँदनी लाती है प्रकृति…… भूमिगत जल से हमारी प्यास बुझाती है प्रकृति और बारिश में रिमझिम जल बरसाती है प्रकृति….. दिन-रात प्राणदायिनी हवा चलाती है प्रकृति मुफ्त में हमें ढेरों साधन उपलब्ध कराती है प्रकृति….. कहीं रेगिस्तान तो कहीं बर्फ बिछा रखे हैं इसने कहीं पर्वत खड़े किए तो कहीं नदी बहा रखे हैं इसने……. कहीं गहरे खाई खोदे तो कहीं बंजर जमीन बना रखे हैं इसने कहीं फूलों की वादियाँ बसाई तो कहीं हरियाली की चादर बिछाई है इसने. मानव इसका उपयोग करे इससे, इसे कोई ऐतराज नहीं लेकिन मानव इसकी सीमाओं को तोड़े यह इसको मंजूर नहीं…….. जब-जब मानव उदंडता करता है, तब-तब चेतवानी देती है यह जब-जब इसकी चेतावनी नजरअंदाज की जाती है, तब-तब सजा देती है यह…. विकास की दौड़ में प्रकृति को नजरंदाज करना बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि सवाल है हमारे भविष्य का, यह कोई खेल-कहानी नहीं है….. मानव प्रकृति के अनुसार चले यही मानव के हित म...
उठो, साहसी बनो, बलवान बनो
मेरा पथ कितना भी दुर्गम ऊँचा नीचा अगम अपार अपनी राह खोज हीं लूँगा कभी ना मानूँगा मैं हार ( खुद पर विश्वास रखिए ) उठो, साहसी बनो, बलवान बनो. सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लो और जान लो कि तुम स्वयं ही अपने भाग्य के निर्माता हो . तुम्हे जो भी बल या सहायता चाहिए वह सब तुम्हारे भीतर हीं मौजूद है . अतः अपने हीं हाथों अपना भविष्य गढ़ डालो .( सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लो ) चिरागों को आँखों में महफूज रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी . ( हालात चाहे जैसे भी हो अन्तःप्रेरणा के बल पर आगे बढते रहो. हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है , जिस तरफ चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा . ( अपनी खूबियों के द्वारा मंजिल की ओर ले जाने वाले रास्ते बनाते जाइए ) एक चिंगारी कहीं से ढूंढ के लाओ दोस्तों , इस दिये में तेल से भींगी हुई बाती तो है .( जब सफर के दौरान लगे कि सब कुछ खत्म हो गया है, तो कमी केवल एक प्रेरणा की होती है जो आपको फिर से उर्जावान बना दे, फिर सब कुछ अच्छा हो जाता है ) बला की आंधियाँ आए कि बारिश की हो रिमझिम दिये की लौ हमने फिर ज्यादा कर लिया .( जितनी बड़ी चुनौती सामने आए...
Comments