बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) के लिहाज से देश की दस शीर्ष कंपनियों में से नौ के बाजार पूंजीकरण में बीते सप्ताह 1,05,357 करोड़ रुपये की गिरावट आई.
आलोच्य सप्ताह में शेयर बाजारों में भारी गिरावट का असर बाजार धारणा पर रहा और सबसे अधिक मार रिलायंस इंडस्ट्रीज और एसबीआई पर रही. बीते सप्ताह सेंसेक्स में 1,111.82 अंक या 3.43 प्रतिशत जबकि निफ्टी में 355.60 अंक या 3.53 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
आलोच्य सप्ताह में शीर्ष दस कंपनियों में केवल इन्फोसिस का बाजार पूंजीकरण ही बढ़ा. टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, आईटीसी व एचडीएफसी सहित बाकी नौ कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में गिरावट दर्ज की गई. रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण इस दौरान 24,671.41 करोड़ रुपये घटकर 5,02,922.78 करोड़ रुपये रहा.
एसबीआई का बाजार मूल्यांकन 21,407.49 करोड़ रुपये घटकर 2,42,258.49 करोड़ रुपये, आईटीसी का बाजार पूंजीकरण 10,882.6 करोड़ रुपये घटकर 3,30,560.46 करोड़ रुपये रह गया. इसी तरह शुक्रवार को समाप्त सप्ताह में एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 10,274.83 करोड़ रुपये घटकर 4,50,997.65 करोड़ रुपये व मारुति सुजुकी का बाजार पूंजीकरण 9,843.28 करोड़ रुपये घटकर 2,25,135.74 करोड़ रुपये रहा.
हिंदुस्तान यूनिलीवर के बाजार पूंजीकरण में 8,452.24 करोड़ रुपये व ओएनजीसी के बाजार पूंजीकरण में 8,149.1 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की गई. इनका बाजार पूंजीकरण क्रमश: 2,49,530.29 करोड़ रुपये और 2,05,588.43 करोड़ रुपये पर आ गया.
Popular posts from this blog
माँ की तरह हम पर प्यार लुटाती है प्रकृति
माँ की तरह हम पर प्यार लुटाती है प्रकृति बिना मांगे हमें कितना कुछ देती जाती है प्रकृति….. दिन में सूरज की रोशनी देती है प्रकृति रात में शीतल चाँदनी लाती है प्रकृति…… भूमिगत जल से हमारी प्यास बुझाती है प्रकृति और बारिश में रिमझिम जल बरसाती है प्रकृति….. दिन-रात प्राणदायिनी हवा चलाती है प्रकृति मुफ्त में हमें ढेरों साधन उपलब्ध कराती है प्रकृति….. कहीं रेगिस्तान तो कहीं बर्फ बिछा रखे हैं इसने कहीं पर्वत खड़े किए तो कहीं नदी बहा रखे हैं इसने……. कहीं गहरे खाई खोदे तो कहीं बंजर जमीन बना रखे हैं इसने कहीं फूलों की वादियाँ बसाई तो कहीं हरियाली की चादर बिछाई है इसने. मानव इसका उपयोग करे इससे, इसे कोई ऐतराज नहीं लेकिन मानव इसकी सीमाओं को तोड़े यह इसको मंजूर नहीं…….. जब-जब मानव उदंडता करता है, तब-तब चेतवानी देती है यह जब-जब इसकी चेतावनी नजरअंदाज की जाती है, तब-तब सजा देती है यह…. विकास की दौड़ में प्रकृति को नजरंदाज करना बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि सवाल है हमारे भविष्य का, यह कोई खेल-कहानी नहीं है….. मानव प्रकृति के अनुसार चले यही मानव के हित म...
उठो, साहसी बनो, बलवान बनो
मेरा पथ कितना भी दुर्गम ऊँचा नीचा अगम अपार अपनी राह खोज हीं लूँगा कभी ना मानूँगा मैं हार ( खुद पर विश्वास रखिए ) उठो, साहसी बनो, बलवान बनो. सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लो और जान लो कि तुम स्वयं ही अपने भाग्य के निर्माता हो . तुम्हे जो भी बल या सहायता चाहिए वह सब तुम्हारे भीतर हीं मौजूद है . अतः अपने हीं हाथों अपना भविष्य गढ़ डालो .( सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लो ) चिरागों को आँखों में महफूज रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी . ( हालात चाहे जैसे भी हो अन्तःप्रेरणा के बल पर आगे बढते रहो. हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है , जिस तरफ चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा . ( अपनी खूबियों के द्वारा मंजिल की ओर ले जाने वाले रास्ते बनाते जाइए ) एक चिंगारी कहीं से ढूंढ के लाओ दोस्तों , इस दिये में तेल से भींगी हुई बाती तो है .( जब सफर के दौरान लगे कि सब कुछ खत्म हो गया है, तो कमी केवल एक प्रेरणा की होती है जो आपको फिर से उर्जावान बना दे, फिर सब कुछ अच्छा हो जाता है ) बला की आंधियाँ आए कि बारिश की हो रिमझिम दिये की लौ हमने फिर ज्यादा कर लिया .( जितनी बड़ी चुनौती सामने आए...


Comments